सिक्के जैसे इंसुलिन पैच से होगा डायबिटीज का इलाज

सिक्के जैसे इंसुलिन पैच से होगा डायबिटीज का इलाज

सेहतराग टीम

शोधकर्ताओं ने एक सिक्के के आकार का इंसुलिन डिलीवरी पैच विकसित किया है, जो मधुमेह से जूझ रहे मरीजों के शरीर में ग्लूकोज के स्तर की निगरानी करने और उसे नियंत्रित करने में मदद करेगा। यह पैच शरीर में मौजूद शर्करा के स्तर को स्वयं मापकर इंसुलिन की डोज रिलीज करेगा जिससे शर्करा का स्तर नियंत्रित रहेगा। जर्नल नेचर बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में प्रकाशित शोध के अनुसार यह चिपकने वाला पैच एक छोटे सिक्के के आकार का है। इसका उत्पादन करना आसान है और एक पैच का इस्तेमाल एक ही दिन किया जाता है।

पढ़ें- यहां जानें डायबिटीज से संबंधित हर सवाल का जवाब और प्राकृतिक उपचार

इंसुलिन शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है-

यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना के शोधकर्ताओं ने कहा कि इंसुलिन नामक हार्मोन अग्नाशय में उत्पादित होता है और शरीर में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह खाद्य पदार्थों से शरीर को मिलने वाली ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। दुनियाभर में 40 करोड़ लोग टाइप-1 और टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित हैं। प्रमुख शोधकर्ता जेन गू ने कहा, हमारा मुख्य उद्देश्य मधुमेह से पीड़ित लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर करना और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है। इस स्मार्ट पैच का इस्तेमाल करने से रक्त शर्करा के स्तर को मापने की, इंसुलिन का इंजेक्शन लेने की जरूरत नहीं पड़ती है। यह आग्नाशय के कार्यों की नकल करता है और जरूरत के समय पर इंसुलिन रिलीज कर शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है।

शर्करा के स्तर की निगरानी करता है-

शोधकर्ताओं के अनुसार यह पैच रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करता है। इसमें कई सूक्ष्म आकार की सुई लगी होती है, जिसमें इंसुलिन के डोज भरे रहते हैं। इन सुई की लंबाई एक मिलीमीटर होती है, जो दवा को तुरंत रिलीज कर रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करती है।जब रक्त शर्करा का स्तर सामान्य हो जाता है तब पैच में मौजूद इंसुलिन के स्राव में भी कमी आ जाती है। इससे इंसुलिन के ओवरडोज का खतरा नहीं रहता। इंसुलिन के ओवरडोज से शर्करा का स्तर कम हो सकता है, इससे बेहोशी या कोमा का खतरा बढ़ जाता है।

पढ़ें- डायबिटीज रोगी खाएं इस अनाज की रोटी, शुगर कंट्रोल होने के साथ रहेंगे फिट

ग्लूकोज की पहचान करने वाले पॉलीमर से बनाया पैच में मौजूद सुई को ग्लूकोज को पहचानने वाले पॉलिमर से बनाया गया है। एक बार त्वचा पर लगाए जाने पर यह सुई त्वचा में धंस जाती है और इस तरह यह रक्त में मौजूद शर्करा के स्तर की पहचान कर लेती है। जब भी शर्करा का स्तर बढ़ता है इंसुलिन रिलीज होने लगता है। शोधकर्ता रोबर्ट लैंगर ने कहा, मुझे खुशी है कि यह स्मार्ट इंसुलिन पैच प्रभावी साबित हुआ है और जल्द ही इसे इलाज में इस्तेमाल किया जा सकता है।

(साभार- हिन्दुस्तान)

 

इसे भी पढ़ें-

80 साल के लोगों में कम उम्र के लोगों की अपेक्षा डायबिटीज एक तिहाई कम

6 घंटे से कम सोने से होता है डायबिटीज होने का अधिक खतरा : शोध में खुलासा

डायबिटीज के मरीज कुछ ऐसे रखें अपने पैरों का ध्यान

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।